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Monday, February 2, 2015

||| फ़रिश्ता |||


बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद लूं.

अचानक एक छोटा सा बच्चा जो करीब १० साल का होंगा; अपनी बहन जो कि करीब ८ साल की होंगी; के साथ मेरे पास आया और मुझसे कुछ पैसे मांगे.

मैंने उनकी ओर गहरी नज़र से देखा और कहा, ‘मैं भीख नहीं दूंगा, हाँ, अगर तुम मेरा सूटकेस उठाकर मेरे कोच तक ले जा सको तो, मैं तुम्हे १० रुपये दूंगा.’ वो लड़का मेरा सूटकेस उठाकर ट्रेन के मेरे स्लीपर कोच तक ले आया.

मैंने उसे १० रुपये दिए. वो दोनों बच्चे बहुत खुश हो गए और जब वो जाने लगे तो मैंने उससे पुछा, ‘तुम भीख क्यों मांगते हो, जबकि तुम दोनों कोई काम कर सकते हो.’ लड़के ने बड़े उदास स्वर में कहा, ‘साहेब, यहाँ कोई हमें काम नहीं देता है. क्या करे. हम दोनों का कोई नहीं है.’

मैंने कुछ देर सोचा और उससे कहा, ‘तुम स्टेशन पर जूते पॉलिश करने का काम शुरू कर सकते हो !’

उसने कहा, ‘साहेब ये तो मैं कर सकता हूँ, पर मेरे पास सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं है.”

मैंने उससे पुछा, ‘कितने पैसे लगेंगे ?’

उसने कहा, ‘मुझे कुछ पक्का मालूम नहीं साहेब.’

मैंने उसे ३०० रुपये दिए और उससे कहा कि इस रुपयों से कुछ सामान खरीद लो और अपना काम शुरू करो. किसी से मांगने की जरुरत नहीं पड़ेंगी और हो सके तो इस बच्ची को सरकारी स्कूल में भेजो.

उन दोनों ने मुझे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया. मेरी आँखे भीग गयी थी. दोनों बच्चे भी करीब करीब रो ही रहे थे.

ट्रेन चल पड़ी और साथ ही वो दोनों भी उस स्टेशन पर यादो के रूप में छूट गए.

समय बीतता गया. कई साल गुजर गए.

उस घटना के कुछ बरस के बाद फिर किसी काम से मेरा सूरत जाना हुआ. मैं फिर उसी मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर खड़ा था. अचानक ही वो बच्चो वाली घटना याद आ गयी, उस बात को करीब ५ साल गुजर चुके थे. पता नहीं वो दोनों कहाँ थे. मैंने मन ही मन कहा, ‘खुदा उनको सलामत रखे.’

इतने में एक युवक मेरे पास आया और जमीन पर बैठ कर मेरे जूते को पॉलिश करने लगा; मैं सकपका गया, मैंने कहा, ‘अरे, अरे ये क्या कर रहे हो, मुझे जूते पॉलिश नहीं कराने है. मेरे जूते ठीक है,

उसने कहा, ‘सर आप जूते पॉलिश करा लो, मैं अच्छे से पॉलिश कर दूंगा और क्रीम भी लगाकर चमका दूंगा.’

पता नहीं उसकी बातो में क्या था, मैंने उसे जूते दे दिए, उसने बड़ी मेहनत से पॉलिश कर दिया और उसे एक कपडे से चमकाने लगा. उसी वक़्त एक लड़की उसके पास भागती हुई आई और उस लड़के ने उसके कान में कुछ कहा, लड़की ने मुझे देखा और अपना दुप्पटा उस लड़के को दे दिया. उस लड़के ने उस दुप्पटे से मेरा जूता चमका दिया. ये देखकर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था.

जब जूते पॉलिश हो गए तो उसने उन्हें मेरे पैरो में डाला और फीते बाँध दिए. मैंने अपने जेब से कुछ सोचते हुए २० रुपये का नोट निकाला और उस युवक को दिया.

वो लड़का उठकर खड़ा हुआ और कहने लगा, ‘सर, आप से कभी पैसे नहीं लूँगा, आपको कुछ याद है, कुछ साल पहले आपने मुझे ३०० रूपए दिए थे और कहा था कि भीख मत मांगो और कुछ काम करो.’

मुझे वो लड़का और उसकी बहन याद आ गये. अजीब इत्तेफ़ाक था, अभी कुछ देर पहले ही मैं उनके बारे में सोच रहा था. वो दोनों अब बड़े हो चुके थे और मुझे उन्हें इस तरह काम करते हुए देखकर अच्छा लगा.

उसने आगे कहा, ‘मैं वही लड़का हूँ साहेब और आपके दिए हुए रुपयों से मैंने जूते पॉलिश करने का सामान ख़रीदा और काम शुरू किया और अब मैं खुदा की मेहरबानी से थोडा बहुत कमा लेता हूँ.  मैं अब नाईट स्कूल में पढता हूँ और मेरी बहन यहीं पास के सरकारी स्कूल में पढने जाती है. यहीं पर एक छोटी सी खोली है, जहाँ हम रहते है.’

उस लड़की ने मेरे पैर छु लिए और कहा, ‘साहेब, अल्लाह आपको सारे जहां की ख़ुशी दे और आपकी रोज़ी में बरकत दे. खुदा करे कि आप जैसे इन्सान और हो जाए तो इस दुनिया में कोई भीख नहीं मांगेगा और इज्जत से जियेंगा’

मेरा मन भर आया और मैंने उनसे उनका नाम पुछा, उन्होंने बताया - लड़के का नाम जमाल था और उसकी बहन का नाम आयशा था. ट्रेन ने चलने की सीटी बजा दी थी, मैंने उन्हें खूब आशीर्वाद दिया.

मैं ट्रेन की ओर चलने लगा, लड़के ने मेरा सूटकेस फिर से उठा लिया और उसे मेरी कोच तक ले आया. मैं अन्दर जाने लगा, उन दोनों को देखा. उन दोनों ने मुझे हाथ जोड़ दिए, दोनों की आँखों में आंसू थे. लड़के ने पुछा, ‘साहेब आपका नाम क्या है.’

मैं कुछ बोलता, इसके पहले ही उसकी बहन ने जवाब दिया, ‘अरे जमाल, इनका नाम फ़रिश्ता है.’

मेरी आँखे भीग गयी और मेरा गला रुंध गया. ट्रेन चल पड़ी.

मैं उन्हें नहीं बता सका कि मेरा नाम क्या है या मैं कौन हूँ और मेरे लिए वो हिन्दू या मुस्लिम नहीं बल्कि इंसान है. मैं उन्हें नहीं बता सका कि मेरे बच्चे उन्ही के उम्र के है और मुझे हर बच्चो में अपने बच्चे ही दिखायी देते है. मैंने उन्हें नहीं बता सका कि कभी न कभी, हर किसी को, कोई न कोई फ़रिश्ता जरुर मिलता है और मुझे भी कोई फ़रिश्ता कभी मिला था और इस फानी दुनिया की लाख बुराईयों के बीच में ये एक खुदाई अच्छाई मौजूद है, जिसके चलते कोई न कोई, कभी न कभी, किसी न किसी का भला जरुर करता है. मैं उन्हें नहीं बता सका कि उनकी इस मेहनत भरी ज़िन्दगी को देखकर मुझे उन पर बहुत फ़क्र है और मैं कितना खुश हूँ.

ट्रेन के दरवाजे पर खड़े होकर मैं बहुत दूर तक उन्हें देखते हुए हाथ हिलाते रहा !


आज भी कभी कभी उन दोनों के बारे में सोचता हूँ तो गला भर जाता है. भगवान उन दोनों को हमेशा खुश रखे ! 

52 comments:

  1. आदरणीय गुरुजनों और मित्रो ;
    नमस्कार ;

    मेरी नयी कहानी “ फ़रिश्ता “ आप सभी को सौप रहा हूँ

    दोस्तों, ये एक सच्ची कथा है जो मानवीय संवेदनाओ पर आधारित है. ये मेरे एक पाठक मित्र श्री फ़िरोज़ खान की आपबीती पर आधारित है .

    ज़िन्दगी में मानवता का अपना एक स्थान है और ये कहानी इसी बात को सत्य साबित करती है. मुझे उम्मीद है कि मेरी ये छोटी सी कोशिश आप सभी को जरुर पसंद आएँगी.

    कहानी का plot / thought इस बार फ़िरोज़ खान जी की आपबीती पर बना . और हमेशा की तरह 5 मिनट में ही बन गया । कहानी लिखने में करीब ३०-५० दिन लगे | इस बार कहानी के thought से लेकर execution तक का समय करीब 1 महीने का था. हमेशा की तरह अगर कोई कमी रह गयी तो मुझे क्षमा करे और मुझे सूचित करे. मैं सुधार कर लूँगा.

    दोस्तों ; कहानी कैसी लगी, बताईयेगा ! आपको जरुर पसंद आई होंगी । कृपया अपने भावपूर्ण कमेंट से इस कथा के बारे में लिखिए और मेरा हौसला बढाए । कोई गलती हो तो , मुझे जरुर बताये. कृपया अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . आपकी राय मुझे हमेशा कुछ नया लिखने की प्रेरणा देती है. और आपकी राय निश्चिंत ही मेरे लिए अमूल्य निधि है.

    आपका बहुत धन्यवाद.

    आपका अपना
    विजय
    +91 9849746500
    vksappatti@gmail.com

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    1. बहुत खूबसूरत कथा ...मदद करना और सही राह दिखा कर मदद करना , ये दोनों अलग अलग बातें हैं .. मदद करने वाले के लिए फ़रिश्ता "शब्द का सार्थक उपयोग हुआ है ..... फरिश्तों के नाम नहीं होते ... ज़रूरतमंद नेक दिल इंसानों की फरिश्तों से भेंट ज़रूर होती है ...अस्तु ....बाल दिवस पर बच्चों और बड़ों सभी के लिए सुंदर भेंट ......

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  2. बहुत ही अच्छी कहानी दिल को छु गई

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  3. कहानी क्या ये तो हकीकत है..सीधी साधी कहानी सीधे दिल से दिल तक...न कोई शब्दों का मायाजाल न लफ्फाजी....

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  4. दिल को छू गयी ये हकीकत

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  5. Umda Kahani Ke Liye Aapko Badhaaee Aur Shubh Kamna Vijay Ji

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  6. काश ! हर पौधे पर पानी सींचने वाली नजर पड़ जाती तो आज नजारा कुछ और होता.

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    Jaya Laxmi बहुत ही सुन्दर दिल को छूने वाली आपकी लिखि कहानी " फरिश्ता " पढते ही आखें भीग गई.. हमेशा कि तरह.. ढेरों शुभकामनाएं ओर बधाई इस अच्छी...सच्ची कहानी के लिये आपको विजय भाई .

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    Piyush Shivwanshi फ़रिश्ता very heart tuching story sir jee. ....

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  9. facebook comment :

    Priya Mishra Bhot hi adbhut kahani h 'farishta' jishe padhakar ankhe nam hogai

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  10. Dil ko chhoonlene wali kahani..Vijay ji sachi ghatnao se kabhi kahani banti hain aur koi unse seekh le toh unn kahanio se sachi prerak ghatnae...

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  11. Dil ko chhoonlene wali kahani..Vijay ji sachi ghatnao se kabhi kahani banti hain aur koi unse seekh le toh unn kahanio se sachi prerak ghatnae...

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  12. facebook comment :

    Nalini Vibha Nazli
    Bahut sunder marmsparshi samvedansheel prernaaspad kahani. Sada alfaaz mein gehri baat. Phir koi na koi farishta kisi na kisi ki zindagi ko roshni bakhshta rahe. Badhai

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  13. absolutely loved reading it..heart touching :)

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  14. एक सुन्दर मार्मिक कथा। सहज सरल प्रवाहमय भाषा में व्यक्त। बधाई एवं साधुवाद विजय जी।

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    Firoz Khan -- Dear Vijaybhai, I have no words to really thank you for putting an incident of my life to such a story form Such small incidents of human values happen in the life of everyone of us. The only thing is in our day to day fst life we don't pay much attention. For me these incidents are really a treasure. That keeps a human in my body alive. I just pray to Allah/God/Bhagwan to give me a chance to attend the marriage of that girl. Thanks a ton again. God bless you and your family.

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    1. Firoz Khan : दिल से शुक्रिया जी जीवन में यदि किसी को हमथोड़ी सी भी मदद करसके तो समझिये हमने जी लिया . और आपने तो यही किया है.. मेरा सलाम कबुल करे..!.

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  16. Facebook comment :

    Hasan Almas - masha allah bahut pyaara likha aapne keep it up

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  17. Facebook Comment :

    जय राम दिवाकर - सुंदर कहानी। लिखते रहिये

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  18. Facebook Comment :

    Gurpreet Singh GP - एक अच्छा प्रयास ,अगर ये हक़ीक़त है तो कहानी का नाम क्यों ??आपबीती है

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    Pradeep Kumar Sahu - हृदयस्पर्शी।।

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  20. Email comment :

    प्रिय विजय कुमार जी,
    नमस्ते|
    आपकी नयी कहानी ‘फरिश्ता’ का कथानक बहुत सुंदर व ह्रदयग्राही है| इसे एक लघु कथा के रूप में प्रस्तुत करें तो अधिक प्रभावी बन सकती है या फिर इसे थोड़ा और विकसित करें और असमंजस बनाये रखें, इतनी आसानी से कथानक सामने न खुले तो कहानी अधिक आकर्षक बनेगी| शायद आपको याद हो कि फ़िल्म बागबान में सलमान खान और अमिताभ बच्चन का रोल क्रमशः आपकी कहानी में दिखाए गये बच्चे और फ़रिश्ते जैसा ही था|
    शुभ कामनाओं सहित
    -दिनेश श्रीवास्तव

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  21. अच्छी कहानी।भीख माँगते हुये बच्चों की स्थिति बदल जाना एक सुखद अनुभूति है।

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  22. Email Comment :

    विजय कुमार जी,
    कहानी मार्मिक है । मन को द्रवित कर गई । सत्य घटना जानकर आपका अनेकश: साधुवाद !!
    इस घटना से मन आश्वस्त हुआ कि मानवीय संवेदना और सहृदयता अभी दुनिया से पूरी तरह विलुप्त नहीं हुई है ।
    " मज़हब नहीं सिखाता , आपस में बैर रखना ।" आपकी इस उदारता के लिये बधाई !!
    शुभकामनाओं सहित,
    शकुन्तला बहादुर
    कैलिफ़ोर्निया

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  23. email comment :

    धन्यवाद शकुन्तला जी ,आँखे भीग गई पढ़ कर अंतर की व्यथा व्यक्त करने की शक्ति
    शब्दों से बाहर हो गई। काश सब ऐसा करके विश्व को बदल दे !भावपूर्ण कथ्य साथ ही सत्य भी ,

    Nirmal Arora

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  24. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-02-2015) को रहे विपक्षी खीज, रात दिन बढ़ता चंदा ; चर्चा मंच 1879 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  25. प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर एक फ़रिश्ता छुपा होता है, आवश्यकता है उसको पहचानने और बाहर लाने की..बहुत सुन्दर और प्रभावी कहानी..

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  26. Email Comment :

    आपकी कहानी फरिश्ता दिन को छू गयी. संक्षिप्त, मर्मस्पर्शी कहानी कम शब्दों में काफी कुछ कह गयी. वाकई सभी इंसान अगर ऐसे ही नेकदिल बन जाए, राह में मिलते लोगों की मदद करते जाए तो यह संसार स्वर्ग बन जाए.

    बधाई.

    अर्चना पैन्यूली

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  27. काश कुछ फ़रिश्ते सभी को मिल जाते ...

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  28. Email Comment :

    नमस्कार,
    अच्छी कहानी है।
    शुभकामनाएं।
    सादर
    आशुतोष कुमार सिंह

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  29. बहुत अच्‍छी कहानी प्रस्‍तुत करने के लिए बधाई

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  30. पिछले दिनों एक विडियो या एड ऐसा ही देखा था उसका सन्देश भी यही था ..........बढ़िया कहानी

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  31. Bahut aachi lagi. ye aapbiti hey ya kalpna ?

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  32. email comment :

    विजय भाई आपको बधाई
    कहानी बहुत अच्छी लगी.
    उपासना

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  33. सुन्दर व मार्मिक

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  34. Email Comment :

    विजय जी आपकी फ़रिश्ता कहानी अत्यंत सुन्दर बन पड़ी है।बधाई
    शुभकांक्षी
    उषावर्मा

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  35. अच्छी कहानी । लघु कथा का रूप दें तो अधिक अच्छा है ।

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  36. email comment :

    ये आपकी दूसरी कहानी पढ़ी है. आपकी कहानियां आशा से झिलमिलाती हैं. बहुत सुंदर रचना
    अनूषा जैन

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  37. Viajay ji, kahani post karne ke liye dhanyavaad.
    Aap to accha likh hi rahen haiN.
    Aage bhi post kareN

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया उषा जी ,
      मैं आपका बहुत आभारी हूँ .
      आपके कमेंट मुझे उत्साहित करते है

      धन्यवाद
      विजय

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  38. achii aur sachii kahani dil tak pahunch gai. umda.

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  39. हृदय की विशालता व विश्वास की प्रेरणा हेतु साधुवाद बन्धु ......

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  40. हृदय की विशालता व विश्वास की प्रेरणा हेतु साधुवाद बन्धु ......

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  41. हृदय की विशालता व विश्वास की प्रेरणा हेतु साधुवाद बन्धु ......

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  42. प्रशंसनीय

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  43. Bahut hi sundar aur acchi kahani h dil ko chu jane vali

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  44. Bahut hi sundar aur acchi kahani h dil ko chu jane vali

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  45. आँख में आंसू ला दिए इस कहानी ने :)

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  46. सर जी नमस्कार ! आप अपनी कहानियाँ/लेख आदि हमारे ब्लॉग पर पोस्ट कर सकते हैं, हम आपके नाम पते के साथ यूज़ पब्लिश करेंगे. इससे हमारे पाठकों को भी कुछ नया अनुभव होगा! www.sskclassified.com/blog

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  47. विजय जी बहुत ही भावुक और प्रेरणाप्रद है… काश हर बच्चे को ऐसे फ़रिश्ते मिले तो सब बच्चों का जीवन संवर जाए

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  48. anayas najar padi ,,,, hridysparshi kahani par ,,,, sadhuvad vijay ji

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