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Tuesday, September 2, 2014

आत्महत्या

नाटक





::: |||  आत्महत्या ||| :::





विजय कुमार सप्पत्ति







:: Address  : 

VIJAY KUMAR SAPPATTI,  
FLAT NO.402, FIFTH FLOOR, PRAMILA RESIDENCY;
HOUSE NO. 36-110/402, DEFENCE COLONY,
SAINIKPURI POST,  
SECUNDERABAD- 500 094 [TELANGANA ]
M : 09849746500 

आत्महत्या

मुख्य कलाकार :

कांस्टेबल रामसिंह
सब इंस्पेक्टर काम्बले
सूबेदार मेजर रावत
डिप्टी कमांडेंट सिंह
कमांडेंट देवेन्द्र
सेकंड इन कमांडेंट यादव
डॉक्टर कृष्णकुमार – साय्कोलोजिस्ट


प्रारम्भ

स्टेज पर पर्दा उठना

सीन एक :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : ऑफिस का कोरिडोर 

स्टेज पर कांस्टेबल रामसिंह आता है और अपने एक साथी से जोश में हँसते हुए कहता है  “ अहा अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , अब घर जाऊँगा और माँ की गोद में चैन के कुछ दिन  बिताऊंगा “  और वो दोनों दुसरे दरवाजे से चले जाते है !
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन दो  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : ऑफिस का कोरिडोर 

स्टेज पर सूबेदार मेजर रावत आता है और अपने एक दोस्त से कहता है , “ अहा अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , कितने महीने हो गए है , मैंने अपनी प्यारी सी बीबी की सूरत नहीं देखि है . इस बार तो मैं चांदनी को सरप्राइज दूंगा, उसे तो बताया ही नहीं कि मैं आनेवाला  हूँ  “  दोस्त हँसता है “ हां यार तेरी तो नयी नयी शादी जो हुई है ... हा हा ..” और वो दोनों हँसते हुए दुसरे दरवाजे से चले जाते है !
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन तीन  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : ऑफिस का कोरिडोर 

स्टेज पर सब इंस्पेक्टर काम्बले  आता है और अपने आप से उदास और ख़ुशी दोनों के स्वर में कहता है  “अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , यहाँ से मुक्ति तो मिली , इस डिप्टी कमांडेंट ने तो जीना हराम किया हुआ है. कुछ दिन अपने घर में दोस्तों और भाईयो के साथ रहकर ज़िन्दगी के मजे लूँगा “ 

और वो दुसरे दरवाजे से जाने लगता है , तभी दुसरे दरवाजे से डिप्टी कमांडेंट सिंह आता है और उससे कहता है , “ क्या रे सुना है , अपने घर जा रहा है ,”

उसे देखकर काम्बले उसे सेल्यूट करता है और सावदान की मुद्रा में खड़ा हो जाता है और कहता है , “जी श्रीमान “

सिंह उसके कंधे पर हाथ मारकर बोलता है, “ अबे तो यहाँ कौन रहेंगा ? कौन हमारा ख्याल रखेंगा ? तू साले नीच जाती का आदमी ,  हम ठाकुरों को सीखायेंगा कि लड़ाई कैसे करना और क्या करना है ?”

काम्बले कुछ धीमे स्वर में अपने गुस्से को दबाते हुए कहता है “ साब , मुझे देरी हो रही है , जाने दीजिये “
सिंह “ ठीक है जा , आना तो तुझे यही है . तब देखता हूँ “

काम्बले सर झुका कर दरवाजे से चला जाता है
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन चार  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : ऑफिस का एक कोना

स्टेज पर कमान्डेंट देवेन्द्र और सेकंड इन कमान्डेंट यादव बैठे है . दोनों के बीच में मेज लगी हुई है  और दोनों दोस्त ड्रिंक्स ले रहे है  .
देवेन्द्र “ यार यादव , मैंने तो बहुत से जवानो और ऑफिसर्स की छुट्टियां मंजूर की है . सब अपने घर जाए और खुशियाँ लेकर आये , बस यही दुआ है “
यादव  “ हां देवेन्द्र , सच कहा , मैं तो इन आत्महत्याओं से दुखी हो गया हूँ “
देवेन्द्र “ मैं उम्मीद करता हूँ की जल्दी ही हम इन बातो को रोक सकेंगे ”
देवेन्द्र “ मैंने एक सायाकोलोजिस्ट को बुलाया है , वो आने के बाद हमारे कैम्प पर सबकी एक वर्कशॉप लेंगे , इससे बहुत से फायदे होने की संभावना है ,  शायद जवानो ने छाया हुआ डिप्रेशन ख़त्म हो जाए “
यादव “ अमीन  मेरे भाई “
देवेन्द्र “ अमीन “
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन पांच   :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : गाँव के एक घर का सेट .

एक चारपाई और दो तीन मुढे . चारपाई पर रामसिंह की माँ बैठी हुई है . एक मुढे पर उसकी बीबी बैठी है और दुसरे पर खुद राम सिंह .
माँ “ भाई राम , तू तो अपनी जोरू को ले जा अपने साथ  ये रोज रोज के झगडे हमें नहीं चाहिए , कभी किसी बात पर लढाई , तो कभी किसी बात पर झगडा , नहीं बेटा नहीं चाहिए बुढापे में ये दुःख “
बीबी , “हमें कौनसा यहाँ रहना है , रोज का तकाजा , रोज के ताने , जैसे यदि आपने ब्याह कर नहीं लाया होता तो मैं कुंवारी ही बैठी रह जाती . अरे कोई कितना सहेंग , हमारे भी दुख है  . लेकिन रोज की लड़ाई , देखो जी , या तो चौका अलग कर लो , हमें अलग घर ले दो , नहीं तो मैं अपने घर चली”

रामसिंह “ अरे चुप हो जाओ तुम दोनों , जब से आया  हूँ , यही सब सुन रहा हूँ . दो दिन की शान्ति नहीं मिली मुझसे . मैं वह काम करूँ या तुम दोनों के झगडे सुलझाऊ !”

तीनो मिलकर बहुत सी बाते एक साथ करने और आपस में लड़ना शुरू कर देते है .
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन छह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

घर में एक पर्दा लगा हुआ है . बाहर दरवाजे पर रावत खड़ा है और खुद से कह रहा है, “ आज मैं चांदनी  को ऐसा सरप्राइज दूंगा कि वो याद रखेंगी  “

सूबेदार रावत चुपचाप अपने घर में घुसता है और एकदम से चिल्लाता है “ आय लव यू चांदनी “ मैं आ गया “ ऐसा कहते हुए वो भीतर घुसता है तो देखता है कि उसकी पत्नी चांदनी उसके दोस्त रवि  के साथ बैठी है . रावत को देखकर दोनों घबरा जाते है . और रवि जाने लगता है . रावत को पहले तो कुछ समझ नहीं आता है और फिर वो समझ जाता है कि उसकी पत्नी चांदनी ने उसे धोखा दिया है .

वो आँखों में आंसू लिए पूछता है , “ क्यों चांदनी , क्यों , ऐसा किया . मेरे प्रेम में क्या कमी रह गयी . देखो , इस बार मैंने पूरे २० दिन की छुट्टी लेकर आया था , लेकिन तुमने मुझे धोखा देकर अच्छा नहीं किया . वो भी मेरे सबसे अच्छे दोस्त रवि के साथ ! धिक्कार है तुम पर . “

चांदनी , “ सुनो मुझे माफ़ कर दो जी , अब ऐसी गलती नहीं होंगी जी “

लेकिन रावत घर से निकल जाता है . और चांदनी रोती हुई बैठी रह जाती है .
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]


सीन सात  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक होटल का सेट

काम्बले अपने दोस्त मोहन के साथ बैठा हुआ है और चाय पीते हुए उससे अपनी बात कह रहा है .  यार मोहन , मेरी पोस्टिंग इस जगह में हो क्या गयी , मेरी ज़िन्दगी नरक बनी हुई है . एक डिप्टी  कमान्डेंट सिंह मुझे रोज तंग करता है , रोज मुझे नीचा दिखाता है , सिर्फ इसलिए कि मैं  दलित हूँ और मैंने एक ट्राइबल कैंप ट्रेनिंग के दौरान गुरिल्ला फाइट सीखा हुआ है और वो मैं सभी को सीखना चाहता हूँ , बस ईसिस बात पर हमेशा मुझे नीचा दिखाता है , कभी कभी सबके सामने ही लताड़ देता है.

मोहन “ उसकी शिकायत तो करो . “
काम्बले , “नहीं यार शिकायत करने से मुझ पर ही गाज गिरेंगी , उसका ओहदा मुझसे बड़ा है . मैं ही कुछ करता हूँ “
दोनों दोस्त चुपचाप चाय पीते है
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन आठ   :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर राम सिंह चुपचाप बैठा हुआ है और अपने आप से बाते कर रहा है . “ये क्या ज़िन्दगी है. जिनके लिए कमाता हूँ वही आपस में इतना लड़ते है . बाज आया ऐसी ज़िन्दगी से . मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन नौ  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रावत पागलो की तरह ड्रिंक्स ले रहा है और अपने आप से बाते कर रहा है “ मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है . आखिर मेरा कसूर क्या है . मैं उसे कितना प्यार करता था अब क्या जीना .. मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]


सीन दस :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर काम्बले अपने दोस्त से कहता है  “मैं इस मामले को वहां जाकर सुलझाता हूँ . मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]


सीन ग्यारह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रामसिंह अपनी वर्दी में चुपचाप बैठा है और फिर अचानक ही सर हिलाते हुए अपनी रायफल से खुद को शूट कर देता है !
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन बारह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रावत पागलो की तरह पी रहा है और फिर अपनी रिवाल्वर निकाल कर खुद को शूट कर देता है .
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]


सीन तेरह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान :ऑफिस का सेट 

स्टेज पर काम्बले को सिंह डांट रहा है, और दोनों में तेज झगडा होता है . काम्बले, सिंह की वर्दी के होल्स्टर से रिवाल्वर निकाल कर खुद को शूट कर देता है
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन चौदह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : ऑफिस का कोना 

ऑफिस की मेज पर देवेन्द्र और यादव दोनों बैठे हुए है . चुपचाप ड्रिंक्स ले रहे है .
देवेन्द्र “ मुझे समझ में नहीं आता है कि मैं क्या करू , कितना कोशिश करता हूँ ,कि जवानो का मोरल डाउन नहीं हो , लेकिन ये हो जाता है और ये देखो , एक नहीं तीन तीन आत्महत्याए . ऊपर से इन्क्वारी के ऑर्डर्स अलग से .

यादव “ कल वो सायकोलोजिस्ट आ रहा है .उसी को कहेंगे कि इन जवानो को कुछ समझाए “
[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

सीन पंद्रह  :
[ स्टेज पर लाइट जलता है ]
स्थान : मैदान का सेट

स्टेज पर कुछ कुर्सियां है और एक माईक है जिस के पास डॉक्टर का चोला पहने डॉ. कृष्णकुमार खड़े है . पास के कुर्सियों में देवेन्द्र, यादव और कुछ और ऑफिसर बैठे हुए है .

डॉ. कृष्णकुमार कहते है ,” आप सभी जवानो को मेरा सलाम . मैं दिल से आपके शौर्य की हौसला-आफजाई करता हूँ और ये बात मैं मानता हूँ कि आप सभी यदि हमारे बॉर्डर्स पर नहीं होते तो आज हम चैन की नींद नहीं सो पा रहे होते . सलाम आपको .

लेकिन आज मैं एक बात कहने आया हूँ और ये बात हम सभी को बहुत चिंतित कर रही है . वो बात है . आपके साथियो के द्वारा आत्महत्या कर लेना . देखिये एक डॉक्टर के होने के नाते मैं आप सभी से ये कहना चाहूँगा कि ये प्रवर्ती बहुत खतरनाक है . आत्महत्या कर लेने से कोई भी समस्या का हल नहीं होता . मैं मानता हूँ कि पारिवारिक , सामाजिक और यहाँ तक की अपने सीनियर्स के द्वारा प्रताड़ना पाना और कष्टदायक हालात में रहना बहुत दुखदायी है लेकिन मेरी मानिए , आत्महत्या करना कोई भी समाधान नहीं है . आपकी आत्महत्या से आपकी कहानी ख़त्म हो जायेंगी , लेकिन जो परिवार आप पर निर्भर है , उसका क्या . उन के बारे जरा सोचिये और इस तरह के नेगेटिव ख्यालो से बचिए . अपने ऑफिसर्स से बात करिए और अपने प्रोब्लेम्स का समाधान लीजिये . लेकिन आत्महत्या न करे. यही मेरी आपसे विनंती है क्योंकि देश को और आपके परिवार को आपकी जरुरत है .

आईये अपने अकेलेपन को दूर करिए . मैं आपको ये कहना चाहूँगा कि अलग अलग एक्टिविटी में भाग लीजिये , अपने साथियो के साथ खूब सारी बाते करिए , ,परिवार और दोस्तों के साथ खूब बाते करिए , शराबा तथा अन्य ड्रग्स से दूर रहिये . रेगुलरली योग तथा दुसरे कसरते करे . दौड़े , मैडिटेशन करे . और अपने आप को किसी क्रिएटिव कार्य में लगाए . और हां गाना बजाना न भूले. संगीत जीवन के डिप्रेशन का सबसे बड़ा हल है . अब तक पिछले दस सालो में करीब ३०० से ज्यादा जवानो ने आत्महत्या की है . आप उस राह पर न चले यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है . आप सभी का दिल से धन्यवाद ! याद रखिये आत्महत्या करना , अपने आप के प्रति और और अपने परिवार के प्रति  और अपने भगवान के प्रति पाप है . जीवन सुन्दर है . इसे भरपूर जिए . यही मेरी मंगलकामना है आप सभी के लिए . एक बार और से आप सभी को प्रणाम और धन्यवाद .

स्टेज पर पर्दा गिरना



समाप्त 

20 comments:

  1. घर से दूर तैनात सैनिकों की मानसिकता और परेशानियों को उकेरता बहुत समसामयिक और प्रभावी नाटक...

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  2. बहुत बढिया प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई विजय इसी तरह आगे बढते रहो

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  3. बहुत अच्छा आपने लिखा है .. आत्महत्या के पीछे के कारणों को खुलकर लाया है .. हार्दिक बधाई

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  4. विजय जी,
    आपका नाटक समाज को एक आइना दिखाता है। आपने गंभीर विषय को अलग तरीके से
    छुआ है। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। साथ ही बीएसएफ द्वारा पुरस्कृत
    होने पर भी आपको बधाई।
    हरमिन्दर सिंह चाहल

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  5. वर्तमान समय को बखूबी उजागर करता
    प्रभावी नाटक--
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर --

    आग्रह है --
    भीतर ही भीतर -------

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  6. Sraahneey , Ullekhneey Aur Sahejneey Naatak . Vijay Ji , Aapkee Lekhni Lajwab Hai . Shubh Aahish .

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  7. प्रभावी नाटक.... हार्दिक बधाई

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  8. आपने गंभीर विषय पर अच्छा लिखा है
    बहुत-बहुत बधाई

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  9. अच्छी कहानी है... बधाई...

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  10. सरल शब्दों में सैनिकों के वेद्नाओं कि नाटक के माध्यम से जीवंत प्रस्तुति है. यह अभिव्यक्ति, एक अहिंदी लेखक के माध्यम से होना , और ही रोचक बन जाता है. प्रस्तुति कि भाव – भंगिमाओ के मैं कायल हूं . एक वाक्यों में — आपके लेखन शैली मैथिली (बिहार) विद्वान स्व० डॉक्टर हरिमोहन झा के समान है. सहज , सरल और प्रभावी.
    - शैलेश कुमार [ http://navsancharsamachar.com/ ]

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  11. serious subject or likhte rahiye

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  12. अच्छा व् गंभीर विषय उठाया है ,बधाई

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  13. Good morning Sir,

    I read your Play and I Liked it very much.

    I am a Actor and Writer also. If you can provide me your any play to perform on stage it could be great for us.

    Without your permission we can not select and perform.

    Awaiting for your valuable response.

    Have a nice day ahead.

    Thanks & regards
    Pratap Abhishek
    Street Guys Production

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  14. प्रिय विजय कुमार जी,
    नमस्ते|
    आपके द्वारा लिखा हुआ नाटक ‘आत्महत्या’ पढ़ा| आपने एक बहुत गंभीर समस्या पर यह नाटक लिखा है| उसके लिये आप धन्यवाद के पात्र हैं| आपको बी.एस.एफ़. द्वारा पुरस्कार भी मिला| बधाई हो|
    इस नाटक में मनोवैज्ञानिक ने सुझाव अच्छे दिये हैं परंतु जो व्यक्ति गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा हो और आत्महत्या की बात सोच रहा हो, उसके लिये मनोवैज्ञानिक की वार्ता किसी भाषण से अधिक महत्व नहीं रखेगी| इसका कुछ असर होगा-यह संदेहजनक है| इस विषय पर आप किसी मनोचिकित्सक से बात करके लिखें तो आप इस विषय पर और अच्छा लिख सकेंगे|
    शुभ कामनाओं सहित
    -दिनेश श्रीवास्तव

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  16. बहुत बढ़िया।।।।।

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  17. विजय सप्पत्ति जी,
    अहिन्दी भाषी होते हुए भी हिंदी में लिखना बहुत कमाल की बात है, इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं ।
    आपने अपने नाटक "आत्महत्या" में जिस ज्वलंत मुद्दे को उठाया है, वह सराहनीय है । मैं इसी तरह के परिवेश से संबंध रखती हूँ । आपके नाटक के जैसी कई "कार्यशालाएं" हमारे यहाँ आयोजित होती रहती हैं जिनमे हम इस तरह की परेशानियों से पार पाने के बारे में सैनिकों को प्रोत्साहित करते हैं । एक सार्थक कृति के लिए बधाई ।

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