तान्या
आज : दोपहर १ बजे
मैंने सारे बर्तन सिंक में डाले और उन्हें धोना
शुरू किया. आज मन कुछ अच्छा नहीं था. सुबह से ही अनमना सा था. कोई भी काम सही तरह
से नहीं हो पा रहा था. कभी कुछ छूट जाता था, कभी कुछ नहीं हो रहा था.
एक अजीब सी खीझ भी हो रही थी. मन में ये कैसी उदासी थी, मैं कुछ समझ नहीं पा रही
थी. मुझे डिप्रेशन हो रहा था और मशीनी अंदाज में, मैं बर्तन धो रही थी.
मैंने म्यूजिक सिस्टम पर गाने लगा रखे थे, गाने सुनते हुए काम
करना मुझे पसंद था. पर आज मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. कुछ अटका हुआ सा था. अचानक
म्यूजिक सिस्टम पर अगला गाना शुरू हुआ - जगजीत सिंह का ‘चिट्ठी न कोई सन्देश, जाने वो कौन सा देश, जहाँ तुम चले गए’.
बस जैसे इसी गाने के शब्दों के लिए मेरा मन रुका हुआ था, अटका हुआ था. मेरी रुलाई
फूट पड़ी. मैं रोने लगी. बर्तनों का धोना बंद हो गया. उधर नल से पानी बह रहा था और इधर
मेरी आँखों से भी.
तानु की याद आ रही थी. मेरी तानु, मेरी पुपु रानी और सारी दुनिया की तान्या !
अचानक पीछे से एक आवाज आई. तान्या की चहकती आवाज़.
“ ममा, क्या तुम भी, कभी भी रोती रहती हो. देखो मैं आ गयी हूँ, चलो चुप हो जाओ, मैं
हूँ न !“ मैं एकदम से पलटी. वो मेरे सामने थी. अपनी उसी मिलियन डॉलर वाली मनमोहक
मुस्कान के साथ. आँखों में हंसी के साथ. वही जींस और टी-शर्ट पहने हुए थी, जो मुझे
बहुत पसंद थी.
मैंने अवाक होकर पुछा, ‘तु कब आई तानु ?’
उसने कहा, ‘जब तूमने रोना शुरू किया माँ !’
मेरी फिर रुलाई फूट पड़ी, मैंने उसे गले लगा लिया. बहुत देर तक. उसने कहा ‘अरे अब छोडो न माँ.’
मैंने कहा ‘नहीं छोडूंगी, इतने दिनों के बाद आती
हो.’
उसने कहा, ‘अच्छा मेरी माँ, अब जल्दी- जल्दी आया करूंगी. ओके अब बैठ जाओ माँ और शांति से
बाते करो .कितने दिन हो गए, तुमसे बाते किये हुए.’
मैंने नल बंद किया और उसे अपने कमरे में ले आई
और उसके साथ बिस्तर पर बैठ गयी, मेरे बैठते ही वो मेरी गोद
में आकर लेट गयी. मैं उसके चेहरे को देखने लगी, कितनी सुन्दर दिख रही थी.
वो तो थी ही सुन्दर. आखिर मेरी बेटी थी. मेरी फिर रुलाई फूट पड़ी, मेरी आँखों से
आंसू उसके चेहरे पर गिरने लगे.
उसने कहा, ‘माँ रोना बंद करो न , नहीं तो मैं चली जाऊँगी, देखो मेरा मेकअप ख़राब हो रहा है.’ कह कर वो खिलखिलाकर हंसने लगी. उसकी हंसी
सुनकर मैं भी मुस्करा उठी. तान्या की हंसी उसके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी बात थी.
उसकी हंसी में कितनी मुक्तता थी, उसकी हंसी में जीवन धडकता
था. वो खुद ही तो जीवन थी.
मैंने कहा, ‘सुन, मैं तेरे लिए कुछ खाने को ले आती हूँ,’ उसने कहा, ‘अरे माँ बैठो ना , खाना पीना तो होते ही रहेगा.
तुम अपनी सुनाओ. कैसी हो , क्या चल रहा है, कुछ नए कपड़े वगैरह खरीदे ? शुगर की दवाई समय
पर ले रही हो न ? खाने में ऑईल ज्यादा तो नहीं ले रही है न ? सलाद ज्यादा खाया करो
. स्कूल में ज्यादा देर तक मत रहा करो .’
मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली कि ‘थोडा
कम बोला कर, कितना बडबड करती है, शांत रहा कर. अब तुम बड़ी हो गयी हो.
थोडा चुलबुलापन कम करो. दादी अम्मा मत बन.’
वो फिर हंसने लगी, ‘माँ तुम तो बस. अरे तुमसे से
ही तो सीखा है सब कुछ. और फिर मैं तुम्हारा खयाल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा, बोल. और सुनाओ ममा
. क्या चल रहा है आजकल घर में ?’
मैंने कहा, ‘यहाँ तो बस वैसे ही है. जैसे तुम छोड़ कर गयी थी. सब कुछ रुका हुआ सा.’ मेरी आँखें
फिर भीग गयी. तान्या ने मुझे देखा और पुछा, ‘मेरी याद आती है ममा ?’
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया, ‘तानु! क्या
बोलती हो बेटा, बस घर भर में तेरी याद ही तो महकती रहती है. तु बस जल्दी-जल्दी आया
कर . तेरी शरारतें ही यादों को महकाते रहते है.”
तान्या फिर हंसने लगी, ‘मैं हूँ ही शरारती, सबसे छोटी जो ठहरी. मैं मस्ती न करूँ तो कौन करेगा.’ कह कर
फिर हंसने लगी, उसकी हंसी से मुझे बहुत ख़ुशी होती थी. तान्या हंसती थी तो लगता था
जैसे फूल बरस रहे हो.
मुझे याद आया उसके पिछले जन्मदिन पर उसे तेज बुखार था, हम सब उसे हंसाने
की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो हंस नहीं पा रही थी. फिर उसे हमने टॉम एंड जेरी
की फिल्म दिखाई तो वो हंसने लगी.
तानु एक बहुत प्यारी बच्ची थी. उसने कितनी अच्छी
तरह से मैनेजमेंट की पढाई की और बंगलौर की एक बड़ी कम्पनी में जॉब करने लगी , वो वहाँ जॉब करने क्या गयी, वही की हो कर रह
गयी.
मैंने तान्या से पुछा, ‘मयंक से मिलने गयी थी?’ तान्या हँसते- हँसते अचानक चुप हो गई, उसने कहा, ‘नहीं. मैं जब भी उसे देखती हूँ तो तकलीफ होती है
. मैं अब हँसते हुए ही रहना चाहती हूँ, अब मुझे रोना नहीं पसंद.’
उसकी बात सुनकर मुझे फिर रोना आ गया. तान्या बोली, ‘माँ ये बार-बार का रोना बंद करो. मुझे रोना पसंद
नहीं है, तुम जानती हो. प्लीज.........’
मैंने कहा ‘नहीं नहीं बेटा कोई नहीं , बस तुझे मयंक बहुत पसंद था, इसलिए पुछा. खैर अब जाने दे उस बात को .
और फिर मैंने हँसते हुए कहा ‘बड़ी आई रोना नहीं
पसंद बोलने वाली, जब तू बच्ची थी और बार-बार गिर जाती थी, तो दिन भर रोती रहती थी, फिर तो जैसे आदत ही बना ली थी, हर बात पर रोती
रहती थी. हर बात पर बस जिद करना और रोना. यही सीख लिया था. वो तो भला हो तेरी
प्राइमरी की टीचर का, जिसने तुझे हँसना सिखाया और फिर जो हंसी तो बस हँसते ही
रही.’
तान्या फिर से हंसने लगी थी.
मैंने कहा, ‘पता है जब तू बंगलौर गयी थी , तब मेरा तेरा कितना झगड़ा होता था कि तू वापस आ
जाये.’
तान्या ने थोडा मुस्कराकर कहा, ‘हां न माँ , मुझे सेल्फमेड बनना था पर तुम हो कि मुझे छोड़ना ही नहीं चाहती थी , हम कितना लड़ते थे पर याद है माँ, रोज ही पैचअप
हो जाता था सोने के पहले !’
मैंने हंसकर कहा ‘और दो दिन बाद फिर से लड़ाई
शुरू हो जाती थी’
तान्या खूब हंसने लगी, वो दिल खोल कर हंसती थी.
उसकी हंसी में मेरा जीवन था जैसे.
मैंने कहा, ‘रुक, मैं तेरे लिए कुछ खाना बना कर
लाती हूँ.’ तान्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया, ‘माँ, मेरी माँ, मेरे पास बैठो ना ,
कितने दिन के बाद तो आई हूँ. बाद में खा लूंगी.’ ‘और फिर तुम मेरे जैसे चॉकलेट
ब्राउनी तो बना नहीं सकती हो न ?. मैं तुमसे बेहतर कुक हूँ ममा !’
मैंने कहा, ‘सच है , तू तो मेरी अम्मा है लेकिन
पिछली बार भी तू बस बाते ही करती रही थी. और बाद में लेट हो रहा है कह कर चली गयी
थी. एक तो तू, बहुत दिनों में आती हो और फिर जल्दी से चली जाती हो. आज तो तुझे कुछ
खाना ही होगा !’
तान्या ने कहा, ‘ये बताओ ममा कि स्कूल कैसे चल रहा
है.’
मैंने एक लम्बी सांस ली और कहा, ‘स्कूल में मन लगने लगा है, बच्चों की चहल पहल में मन लगा रहता है, पता है, 8th में एक नई लड़की
आई है, उसका नाम भी तान्या है, जब मेरे से उसका परिचय हुआ
तो,’
तान्या ने मेरी बात बीच में ही काटते हुए कहा, ‘जरूर
तुमने, उसे अपने पास बिठा लिया होगा. और खूब सारी बाते की होंगी और चॉकलेट भी दिया
होगा,’ अब हंसने की बारी मेरी थी. वो भी हंसने लगी और कहने लगी, ‘क्या मैं तुम्हें जानती नहीं माँ !’
मैंने कहा, ‘ वो तो सही है बेटा, पर तेरी जगह कोई
नहीं ले सकता है तान्या. you are the best !’ लेकिन जब उसने उसने एनुअल डे के
फंक्शन में तेरा मनपसंद गाना गाया तो मैं चौंक गयी थी .
तान्या बोली, ‘माँ, मैं अभी भी बेस्ट हूँ. न मेरे जैसे कोई थी, न ही कोई और होंगी. और नहीं तो क्या. I am the best for now and forever’
मैंने कहा, ‘हां रे वो तो है. तेरी जैसी कोई
नहीं. चल तू वो गाना सुना.’
तान्या ने कहा, ‘नहीं माँ आज तो तुम सुनाओ वो
बचपन वाला गाना.’
मैंने कहा ‘तेरी शरारतें ख़त्म नहीं होती है. है
न.’
‘चल तू आजा मेरे पास,’ कहकर मैंने उसे अपने पास
घसीट सा लिया और अपने दिल से लगाकर उसे ये गाना सुनाने लगी, ‘जूही की कली मेरी लाड़ली, नाजों की पली मेरी लाड़ली ओ आसकिरन जुग जुग तू
जिए, नन्ही सी परी मेरी लाड़ली , ओ मेरी लाड़ली......’ बस इतना कहते ही, उसने कहा, ‘चु...चु. चु ...चु....’ कह कर मुझे चूम लिया.
मैं फिर रो पड़ी, मैं बहुत देर तक रोते रही. कुछ देर बाद चुप हुई, उसे अपने गले से अलग किया
तो देखा कि वो सो गयी थी. मैंने उसे अपने बिस्तर पर सुला दिया. और उसे एक चादर ओढ़ा
कर जल्दी से किचन में चली गयी, और उसके लिए उसकी पसंद का खाना बनाने लगी.
उसे हर तरह का खाना बहुत पसंद था. मैंने बनाना
शुरू किया, बहुत प्यार से, बहुत ममता से, आखिर वो मेरी लाड़ की बेटी थी, सबसे प्यारी, सबसे छोटी ! मेरी तानु
!
मैंने रोटी बनाते हुए याद किया कि किस तरह से उसे
मैंने भगवान से मन्नतें करके माँगा था. कितने मंदिर गयी थी. मेरी बड़ी बेटी भी मेरे
साथ जाती थी. कई जगह माथा टेकने के बाद, प्रभु जी के आशीर्वाद से ये खूबसूरत सी परी
मेरे घर आई थी.
उसके नामकरण के लिए घर में बहुत बहस हुई थी , मुझे उसे एक मॉडर्न नाम देना था और घर के लोग
पुराने टाइप का नाम देना चाह रहे थे. आखिर जीत मेरी ही हुई . और मैंने इसे तान्या
नाम दिया. और वो अकसर मुझसे पूछती थी कि, ‘माँ
तान्या का मतलब क्या है?’
मैं उससे कहती थी कि ‘ये बाइबिल से जुड़ा हुआ नाम
है और इसका मतलब ये है कि तुम सारे परिवार को रिप्रेजेंट करती हो, तुमसे ही परिवार है.
तुम ही परिवार हो, तुम में ईश्वर का वास है...’ कहते कहते मेरी आँखें भीग जाती
थी.
उसके पसंद का खाना बन गया था, मैंने उसे टेबल पर
लगाया, फिर याद आया कि तान्या तो बिस्तर पर खाना ज्यादा पसंद करती
थी, मैंने खाने को एक प्लेट में परोसा और अपने कमरे में गयी, देखा तो तान्या उठकर
बैठ गयी थी और कमरे में मौजूद अपने और मेरे फोटो को देख रही थी. मैंने कहा, ‘बेटा
मैंने खाना बना लिया है, सब कुछ तेरे पसंद का है.’
मैं थाली उसके पास लेकर गयी और उससे कहा कि ‘तू
बैठ, मैं खिलाती हूँ. कितने दिन हो गए, मैंने तुझे अपने हाथों से खिलाया नहीं है.’
तान्या भी पालथी मारकर बैठ गयी. ये उसका पसंदीदा
स्टाइल था, वो बिस्तर पर पालथी मारकर बैठ जाती थी, और मैं उसे खिलाती थी, और फिर उसके रनिंग कमेंट्री
शुरू हो जाती थी, माँ ये- माँ वो.
अभी वो फिर से शुरू हो गयी थी. ‘माँ तूम कितना
अच्छा खाना बनाती हो. तुम्हारे जैसे खाना पूरी दुनिया में कोई नहीं बना सकता.. मैं
तो तरस जाती हूँ माँ तुम्हारे हाथ का बना खाना खाने के लिए,’ उसका ये बोलना था
कि फिर से मेरी आँखें भीग गयी.
मैंने कहा, ‘तेरा जब भी मन हो, आ जाया करना, ये तो तेरा ही घर
है. सब कुछ तो तेरा ही है.’
वो खाते खाते मेरे गोद में झूल गयी, ‘मुझे तो कुछ नहीं चाहिए, बस माँ चाहिए. और
कुछ नहीं.’
मैंने कहा, ‘माँ कहाँ जा रही है, ममा तो अपनी तानु की ही है.’
खाना हो गया, तो तान्या फिर से मेरी गोद
में लेट गयी और थोड़ी देर मेरी तरफ देखने के बाद , कमरे के चारों और उसकी नज़रें घुमने लगी . उसकी नज़रें
अपने पापा के फोटो पर पड़ीं. पूछने लगी, ‘माँ, पापा मेरे जैसे दिखते
थे न ?’ मैंने हँसते हुए कहा, ‘नहीं तू अपने पापा जैसे
दिखती है. बड़ी आई पापा, तेरे जैसे दिखने वाले.’ तान्या ने कहीं शून्य में देखते
हुए कहा, ‘सच है माँ मैंने तो उन्हें ठीक से देखा भी नहीं था. वो चले गए हम सबको
छोड़कर.’
मैंने एक गहरी सांस ली और उसके सर को सहलाते हुए
कहा, बेटा वो फौजी थे, देश पर कुर्बान हुए है, शहीद हुए है, और मुझे नाज़
है उन पर, और तुम्हें भी उन पर फख्र होना चाहिए.’
तान्या खड़ी हो गयी और एक जोरदार सेल्यूट अपने
पापा की तस्वीर को देखते हुए दिया. मुझे हंसी आ गयी, तानु की शरारतें गयी नहीं थी. और उसकी यही छोटी-छोटी बाते मुझे बहुत पसंद थी.
मैंने कहा, ‘बेटा तू जल्दी-जल्दी आया कर, मुझे तेरी बड़ी याद आती है, मुझे तेरी बड़ी जरूरत
महसूस होती है.’ तान्या ने हँसते हुए कहा, ‘अरे माँ तूम तो सोयी रहती हो, मैं तो आती हूँ न तुम्हारे सपने में. आकर देख
कर जाती हूँ कि सब ठीक है. अगर तुम्हारी तबीयत खराब रहती है तो मैं जादू कर देती
हूँ और तूम ठीक हो जाती हो . सच्ची में !
मैंने हँसते हुए पुछा, ‘अच्छा बता तो कैसे जादू करती है,’ वो खड़ी हो गयी और जादूगरों की तरह एक्टिंग
करने लगी और मुझे छु मंतर बोल दी. मैं जोर से हँसने लगी.
तानु बस ऐसे ही थी. जीवन से भरी हुई, हंसी से भरी हुई, हर जगह बस वो ही
होती थी, मेरी प्यारी तानु. मेरी बच्ची. मेरी जान !
तान्या ने घर भर का एक चक्कर लगाया और मेरे पास
आकर कहने लगी, बहुत सारे पौधे लगा लिए है
ममा, और ये दो नई बिल्लियाँ भी पाल ली है.
फिर उसने मेरी तरफ गहरी नज़र से देखा और कहा , और बताओ माँ , मैं कैसे-कैसे और कब-कब याद
आई तुम्हें.
मैंने
कुछ देर सोचा और कहा ‘कुछ अजीब सी बाते तो होती रहती है , जब मैं अमेरिका गयी थी वहां एक स्टोर में की-चेन
लेने के लिए बक्से में हाथ डाला तो सिर्फ तेरे नाम का की-चेन मेरे हाथ में आया.
वही अमेरिका में एक होटल में खाना के लिए हम सब गए थे कि जैसे ही हम भीतर गए , तेरा
मनपसंद गाना बजने लगा था . पिछले बरस देहरादून के एयरपोर्ट पर तेरी बहुत याद आई तो
देखा कि एक पसेंजर बस वहां अचानक आई जिसके पीछे के साइड पर तानु लिखा था और जब भी मुझे
तेरी बहुत याद आई तो तेरी बड़ी बहन या तेरी कोई न कोई सहेली मुझे जरूर फ़ोन करती है.
ऐसे ही बहुत सी बाते है ........’
ये सब कहते-कहते मेरी आँखें भीग गयी थी .
तान्या चुप हो गयी अचानक , मेरी तरफ बहुत देर तक देखती रही और फिर बहुत उदास हो गयी. फिर भरी हुई आँखों से कहने लगी, ‘माँ मुझे तुम्हारी बहुत
याद आती है, सच में तुम्हारे सिवा कोई नहीं है मेरा माँ.’
ये सुनकर मेरी रुलाई फूट पड़ी. मैंने उसे गले से
लगा लिया. वो बहुत देर तक सुबकती रही.
फिर वो शांत हुई, उसने कहा, ‘माँ वो दिन याद है......!’
मैंने उसे देखा और मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया
!
कई साल पहले /
रात 9:३० बजे
तानु का फ़ोन आया, उस वक्त मैं खाना खा रही थी, मैंने मोबाइल उठा कर पुछा, ‘हां बेटा?’ तानु ने
कहा, ‘माँ मैं मयंक के साथ डिनर पर जा रही हूँ. आज मैं बहुत खुश हूँ माँ, तुम खुश हो न माँ ?” मैं तो खुश थी ही, तानु की हर ख़ुशी में मेरी ख़ुशी थी. मैंने हां कहा और कहा कि अपना ख्याल रखना
बेटा , उसने हां कहा और फ़ोन कट गया. मुझे अचानक से थोड़ी बैचेनी होने
लगी थी. उस रात मुझे ठीक से नींद भी नहीं आई.
उसी रात / रात १ बजे
मोबाइल पर लगातार बजती हुई घंटी ने मेरी कच्ची
पक्की नींद को झकझोरा. मैंने देखा, मोबाइल के स्क्रीन में कोई अनजाना सा नंबर था. मैंने
फ़ोन उठाया. उधर से एक अनजानी आवाज आई, ‘क्या आप तान्या की माँ बोल
रही है ?’ मेरे चेहरे पर पसीना आ गया, इतनी रात के फ़ोन का अंदेशा कुछ अच्छा नहीं था.
मैंने जल्दी से कहा, ‘हां, क्या हुआ, सब ठीक तो है, तानु ठीक तो है ?’ उस आवाज़ ने
थोडा रुककर कहा, ‘माफ़ कीजिये, मयंक और तान्या का एक्सीडेंट हो गया है,’ मैंने चिल्लाते
हुए पुछा, ‘तानु कैसी है, उसने
हिचकिचाते हुए कहा, ‘माफ़ कीजिये आंटी; वो ठीक नहीं है, मयंक को कम चोट लगी है, लेकिन तान्या को सर
में गहरी चोट लगी है. हम उसे मनिपाल हॉस्पिटल ले जा रहे है, क्या आपका बंगलौर
में कोई रिश्तेदार या दोस्त है ? जिससे हम संपर्क कर सके?’
इतना सुनना था कि मेरा दिमाग और दिल ने काम करना
बंद कर दिया था. मैं सुन्न हो गयी थी.
दूसरे दिन / सुबह ६ बजे
दूसरे दिन सुबह तान्या 6 बजे इस संसार को छोड़कर इन्द्रधनुष
के उस पार अपने प्रभु से मिलने चली गयी.
मुझे हमेशा के लिए अकेला छोड़कर.
मेरी तानु, मेरी बेटी, मेरी तान्या !
आज / शाम ५ बजे
मैं फिर रोने लगी. धुंधली आँखों से देखा तो तानु
मेरे पास ही खड़ी थी, उसने मेरे सर पर हाथ फेरा और मेरे गले लगी और धीरे- धीरे
घर से बाहर चली गयी.
म्यूजिक प्लेयर पर उसका मनपसंद गाना बजा रहा था “
knock knock ,knocking on heaven’s door’ ये गाना उसे बहुत पसंद था और
उसके अंतिम यात्रा पर भी यही गीत बजाया गया था;
यही उसकी आखिरी इच्छा थी !
मैं बहुत देर तक पलंग पर बैठकर / लेटकर रोती रही.
आज / रात 9 बजे
मैं चुपचाप खाना खा रही थी कि अचानक बड़ी बेटी अंजलि
का कॉल आया अमेरिका से. उसने कहा कि माँ तुम्हें पता है? आज मेरे सपने में तानु आई
थी, वो हमारा ख्याल रखती है. वो
तो हमारे साथ ही है हमेशा!’
मैंने शांत स्वर में कहा, हां मुझे पता है, सब कुछ पता है, वो यही है. हमारे
साथ!
हमारी तानु, हमारी तान्या.
एक छोटी सी कोशिश : विजय
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दोस्तों , कुछ कथाये ऐसी होती है , जिन्हें छूना ही बहुत मुश्किल होता है , लिखना तो बहुत दूर की बात है . ऐसी ही एक सच्ची घटना को , मैंने आपके सामने पेश किया है.
ReplyDeleteहर इंसान के दिल में एक ऐसी छुपी हुई कहानी होती है , जिसे वो कहना तो सभी को चाहता है पर दिल के उस कोने तक पहुँचने में ही [ जहाँ वो कहानी बसी हुई है ] सदियों लग जाते है .
इस कहानी को में कई साल पहले से ही जानता था , पर इसे शब्दों का रूप देने में मुझे इतने बरस लग गए क्योंकि , जब भी इस कथा के बारे में सोचता था, मैं खुद रो पड़ता था, पिछले दिनों जब मैं काफी बीमार रहा , उसी बीमारी के उतार चढ़ाव के दौरान , मैंने इस कथा को शब्द दे दिए.
तान्या सिर्फ अपनी माँ की बेटी नहीं है , वो हम सब कि बेटी है , हम सब यकीनन ऐसी ही जीवन से भरी हुई बेटी को चाहते है . माँ और बेटी का रिश्ता बहुत अनमोल और संवेदनशील होता है. दोनों एक दूजे में अपना अक्स देखते है. और इस कथा को मैंने डायलाग फॉर्मेट में लिखकर उन भावनाओं को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश की है .
गीता में कहा गया है कि शरीर नश्वर होता है आत्मा अजर अमर होती है. जीवन मरन और फिर जीवन की इस यात्रा में हम अपने चिन्ह इस धरा पर छोड़ जाते है . और उन्हीं चिन्हों के द्वारा जाने जाते है
तान्या ने जो भी जीवन जिया वो पूरी तरह से जिया और यही तो उसका समग्र सन्देश है , यही उसकी देशना है इस संसार को.
तान्या , तुम जहाँ हो , मुझे पता है वहाँ भी तुम अपनी हंसी बिखेर रही होंगी !
विजय
Wonderful.
ReplyDeleteSuch a relationship between mother & daughter is beyond mere words. It is with the heart that one can understand & feel. It is a relationship that transcends all limits because they are ONE...
ReplyDelete....ONE soul
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ReplyDeleteडॉ अखिलेश :
'तान्या' कहानी उस कथाकार ने लिखी है जो निर्विवाद रूप से 'शब्द निष्ठा सम्मान-2015 कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहे ।
सच कहू्ं तो 'तान्या' पढ़ते समय आँखों का गीलापन बढ़ता ही गया । मुझे गर्व होता है कि दक्षिण भारतीय होने के बावजूद हिन्दी कहानी को इतनी ऊंचाइयों पर ले जाने वाले विजय सिर्फ कलम के ही महारथी नहीं हैं बल्कि आपका हृदय भी उतना ही पावन व परोपकारी है ।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
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ReplyDeleteजयलक्ष्मी जी :
तान्या👌🏻
आपकी लिखी एक और सदा की तरह लाजवाब कहानी विजय भैया दिल को छु गयी.. आखें नम हो गयी..या कहुँ रोये बिना नहीं रह सकी बहुत उम्दा लेखन सदा विजय भैया 💐💐 आप के स्वस्थ के लिये सदा दुवायें और आशीर्वाद 💐💐
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ReplyDeletepratibha srivastav
बहुत शुक्रिया
कहानी पढ़ी
दिल को छू गई •••
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ReplyDeleteRajesh Parashar
बहुत ही मार्मिक कहानी |आप तो जादूगर हैं सर |
रुला दिया ।शब्द नही है कहने को
ReplyDeleteबेहतरीन, बहुत खूब.
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ReplyDeleteकीर्ति -श्रीगंगानगर
बहुत भावुक कहानी है , माँ बेटी के प्यार की , वो बेटी जो अब दुनिया में नहीं है पर न होकर भी हर पल पास है . . बधाई विजय जी
बहुत ही मर्मस्पर्शी व भावुक भरी कहानी
ReplyDeleteविजयजी,आज पहली बार आपके ब्लॉग पर पहुँची और बस मन यहीं खोकर रह गया । तान्या हम सबकी बेटी है, सही कहा आपने । ना होती तो यूँ लगातार क्यों बहते आँसू तान्या को पढ़ते समय....इस कहानी से एक घटना याद आ गई । मुझे सिर्फ एक बेटा है । एक रिश्तेदार की दो बेटियों में से एक को गोद लेना चाहा था । उसने मुझे मना करके किसी और को गोद दे दी क्योंकि वे काफी धनाढ्य थे । मैंने झोली फैलाकर माँगी थी वो बिटिया...
ReplyDeleteखैर, वो जहाँ भी रहे, खुश रहे ।