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Monday, January 2, 2012

मेन इन यूनिफ़ॉर्म // MEN IN UNIFORM



मेन इन यूनिफ़ॉर्म // MEN IN UNIFORM 


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भाग एक  
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धाँय ....धाँय ....धाँय .....

तीन गोलियां मुझे लगी ,ठीक पेट के ऊपर और मैं एक झटके से गिरा....गोली के झटके ने और जमीन की ऊंची -नीची जगह के घेरो ने मुझे तेजी से वहां पहुचाया जिसे NO MAN'S LAND कहते है ... मैं दर्द के मारे कराह उठा.. पेट पर हाथ रखा तो देखा भल  भल  करके खून आ रहा था .. अपना ही खून देखना ... मेरी आँखे मुंदने लगी ... कोई चिल्लाया मेजर , WE ARE TAKING YOU TO HOSPITAL.....देखा तो मेरा दोस्त था ...मेरे पास आकर बोला " चल साले यहाँ क्यों मर रहा है हॉस्पिटल में मर "... मैंने हंसने की कोशिश की ,उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे मेरे चहरे पर....

मेरी आँखे बंद हो गयी तो कई चित्र  मेरे जेहन में आने लगे मैं मुस्करा उठाकही पढ़ा था की मरने के ठीक १५ मिनट पहले सारी ज़िन्दगी याद आ जाती है ... मैंने अम्बुलेंस  की खिड़की से बाहर  देखा, NO MAN'S LAND पीछे छूट रहा था .. ...ये भी अजीब जगह है यार मैंने मन ही मन कहा ... दुनिया में सारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ जगह के लिए है और यहाँ देखो तो कहते है NO MAN'S LAND......

कोई और चित्र सामने आ रहा था देखा तो माँ की था  एक हाथ में मेरा चेहरा थामकर दुसरे हाथ से मुझे खिला रही थी और बार बार कह रही थी की मेरा राजा बेटा सिपाही बनेंगा ....मुझे जोरो से दर्द होने लगा .......अगला चित्र  मेरे स्कूल की था  जहाँ १५ अगस्त को मैं गा रहा था नन्हा मुन्हा राही हूँ ,देश का सिपाही हूँ’ .......स्कूल का हेडमास्टर  ने मेरे सर पर हाथ फेरा ...मैंने माँ को देखा वो अपने आंसू पोंछ रही थी .....मेरे पिताजी भी फौज में थे .....ज़िन्दगी का विडियो बहुत ज्यादा फ़ास्ट फॉरवर्ड  हुआ अगले चित्र  में सिर्फ WAR MOVIES थी जिन्होंने मेरे खून में और ज्यादा जलजला पैदा किया ....

अगले चित्र में एक लड़की थी जिसके बारे में मैं अक्सर सोचता था...वो मुझे इंजिनियर के रूप में देखना चाहती थी , मैं आर्मी ऑफिसर बनना चाहता था .. एक उलटी सी आई जिसने बहुत सा खून मेरे जिस्म से निकाला मेरा दोस्त ने मेरा हाथ थपथपाया .."कुछ नहीं होंगा साले "....अगली चित्र  में उसकी चिट्टियां और कुछ फूल जो सूख गए थे ,किताबो में रखे रखे ..उसे वापस करते हुए मैंने NDA की ओर चल पड़ा ...

अगले चित्र में हम सारे दोस्त ENEMY AT THE GATES की कल्पना अपने देश की सरहद पर कर रहे थे ....क्या जज्बा था यारो मेंहमारे लिए देश ही पहला गोल था देश ही आखरी गोल था......और , मैं आपको बताऊँ   , WE ALL WERE WAITING FOR OUR ENEMIES AT THE GATE .........

अगली चित्र में मेरे माँ के आँखों में आंसू थे गर्व के तीन साल के बाद की PASSING PARADE में वो मेरे साथ थी और मैं उसके साथ था  . हमने एक साथ आसमान को देखकर कहा ....हमने आपका सपना साकार किया ........अगला चित्र एक तार का आना था जिसमे मेरी माँ के गुजरने की खबर थी .....मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा और मुख्य स्तम्भ  गिर गया था ... मुझे फिर उलटी आई .....मेरा दोस्त के आंसू सूख गए थे मुझे पकड़कर कहा, "साले तेरे पीछे मैं भी आ रहा हूँ .....तू साले नरक में अकेले मजे लेंगा..ऐसा मैं होने नहीं दूंगा" ......मैंने मुस्कराने की कोशिश की ...

सबसे प्यारा चित्र मेरे सामने आया .....मेरी बेटी ख़ुशी की ......उसे मेरी फौज की बाते बहुत अच्छी लगती थी....मेरी छुट्टियों   का उसे और मुझे बेताबी से इन्तजार रहता था ... मेरी पत्नी का चित्र भी था वो हमेशा सूखी आँखों से मुझे विदा करने की थी .......उसे डर लगता था की मैं .....मुझे कुछ हो जायेंगा .... इस बार उसका डर सच हो गया था ... मेरी बेटी की बाते ...कितनी सारी बाते ....मेरी आँखों में पहली बार आंसू आये ... मुझे रोना आया ..मैंने आँखे खोलकर दोस्त से कहा ..यार ख़ुशी .......,इतनी देर से वो भी चुप बैठा था ,वो भी रोने लगा .......

अब कोई चित्र सामने नहीं आ रहा था  ...एक गाना याद आ रहा था ....कर चले वतन तुम्हारे हवाले साथियो..... मैंने दोस्त से कहा यार ,ये सिविलियन  कब हमारी तरह बनेगे .. हम देश को बचाते है ..ये फिर वहीँ ले आते है जिसके लिए हम अपनी जान......एक जोर से हिचकी आई मैंने दोस्त का हाथ जोर से दबाया .....और फिर एक घना अँधेरा...........

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भाग दो
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दूसरी सुबह कोई बहुत ज्यादा बदलाव  नज़र नहीं आया मुझे इस देश में जिसके लिए मैंने जान दे दी..... ENEMIES WERE STILL AT THE GATE ... अखबार  में कहीं एक छोटी सी खबर थी मेरे बारे में .....राजनेता बेमतलब के बयान दे रहे थे  ......किसी क्रिकेट में क्षेत्ररक्षण की तारीफ़ की खबर थी .....कोई ये भी तो जाने की एक एक इंच जमीन का क्षेत्ररक्षण करते हुए हम जान दे देते है .....कोई मीडिया का राज उजागर  हुआ था .... कोई सलेब्रटी की मौत हुई थी जिसे मीडिया लगातार कवरेज  में दे रहा था ... कोई रिअलिटी शो में किसी लड़की के अफेयर की बात थी ... मतलब की सारा देश ठीक-ठाक ही थी ......मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैंने जान क्यों दी .......मेरी पत्नी चुप हो गयी थी ..अब उसके आंसू नहीं आ रहे थे ...मेरा दोस्त बार बार रो देता था ....और ख़ुशी.....वो सबसे पूछ रही थी ,पापा को क्या हुआ ,कब उठेंगे हमें खेलना है न.......................................


विजय 

16 comments:

  1. दोस्तों , ये ब्लॉग मेरा नया प्रयास है , कहानिया लिखने का . आपका आशीर्वाद मिले तो बहुत खुशी होंगी .

    आपका
    विजय

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  2. बेहद मार्मिक मगर सटीक चित्रण किया है…………आज यही तो हो रहा है……………पहली ही प्रस्तुति शानदार है।

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  3. विजय जी...बड़ी ही संजीदा तरीके से आपने सजीव चित्रण कर दिया है....आपका यह ब्लाग बहुत बढ़िया है.....शुभकामनाएं।

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  4. kahanee kaa theme badhiya hai . badhaaee

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  5. बढ़िया लगी कहानी...अंग्रेजी का इस्तेमाल थोड़ा कम करिये तो और अच्छा प्रवाह एवं प्रभाव बनेगा.

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  6. Comment by email :
    प्रथम नए blog की बधाई .... कहानी में हिंग्रेजी भाषा का प्रयोग और भी बढ़िया लगा ... अगर english के words capital letters में ना लिख small letters में ही लिखे जायें .. तो पढने में ज्यादा आसानी रहेगी .. कहानी बहुत अच्छी लिखी गयी है .... बधाई

    blog main bhi comment kiya hai .. pata nahin pahauncha ya nahin .. isliye mail ke thru bhi zavab de rahi hun ...

    Sadar .. Gunjan

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  7. achcha pryaas hai aap ka ,likhte rhiye,meri shubhkaamnaye sweekaren....

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  8. बहुत मार्मिक .. लग रहा है जैसे कोई सच्ची कहानी लिखी गयी है ... बधाई

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  9. शानदार...., मजा आया.... बधाई मार्मिक कहानी की !

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  10. ह्रदयस्पर्शी कहानी, बहुत ही मार्मिक.. छू गयी!

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  11. ufff, nishabd hu mai, sach mei rona aa gaya, ye kisis na kisi jawan ki sachi kahani hi hogi

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  12. बहुत ही अच्‍छी शुरूआत के लिए बधाई सहित शुभकामनाएं ।

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  13. बहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी है।


    सादर

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  14. bahut hi marmik kahani likhi hai.

    shubhkamnayen

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  15. सच को सामने लाती बहुत ही मार्मिक कहानी ....

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